मन चाहे मौसमों को बुलाये भी तो कैसे
अपनी वफाओ का यकीं दिलाये भी तो कैसे
मना लेते अगर यार रूठा हो जो मुझसे
खुद रूठ बैठे खुद से गर मनाए भी तो कैसे
हँसते रहेंगे हँसने का वादा किया है जो
छलकते इन आँसुओ को छिपाए भी तो कैसे
कागज़ी फूल पत्तों से सजा है आशियाँ
तितलियां इस घर आँगन में आये भी तो कैसे
इश्क़ में हर शौक को रख देंगे ताक पर
तुझको ना हो पसंद जो फरमाये भी तो कैसे
वो तो सितारा है किसी और शख्स का
अपने आसमाँ प खंडवी सजाये भी तो कैसे
जय खंडवी