चीनी बहिष्कार और आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता और चीनी सामान का बहिष्कार दो ऐसे विषय है जिसे हम निश्चित रूप से दीर्धकालीन योजना द्वारा भारत मे क्रियान्वित कर सकते है।अगर मात्र दो महीने में इस देश के व्यापारियों ने PPE kit और N95 mask की निर्भरता को चुनौती मानकर खत्म कर दिया और देश मे रोजाना लाखों kits और masks का निर्माण शुरू हो गया तो क्या योजनाबद्ध तरीके से बाकी सामान की निर्भरता खत्म नही की जा सकती।हाँ ये चुनौती भरा है आसान नही है लेकिन ये रास्ता इस देश को एक नई दिशा दे सकता है।

इसके क्रियान्वन के लिए सबसे पहले ज़रूरत है वैचारिक और व्यवहारिक सोच में बदलाव की।क्योंकि चीनी सामान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस कदर हमारे जीवन मे घुसा हुआ है कि अचानक इससे छुटकारा संभव नही है।इसलिए सर्वप्रथम नागरिकों में एक विचारधारा के बीज बोना कि हाँ वे स्वेच्छा से चीनी सामान को अपने जीवन से हटाएंगे और इसे अपने व्यवहार में ढालने का प्रयास करेंगे ये बहुत आवश्यक है।इसमें एक बड़ी चुनौती उन लोगो के प्रभाव से बचना है जो इसके विरोध में सिर्फ इसलिए है कि उन्हें विरोध करना है।आपको याद होगा इन लोगो ने स्वच्छ भारत पर भी तंज़ कैसे थे, हँसी उड़ाई थी और विरोध किया था।

आज ये इसी तरह के तंज़ मसखरी मखौल आत्मनिर्भरता और चीनी बहिष्कार पर भी करते पाए जाते है।ये आपकी विचारधारा को कमज़ोर करने की कोशिश करेंगे।मसलन अगर आपने चीनी बहिष्कार की चर्चा की तो ये Tik Tok uninstall करने की बात नही बताएंगे ये आपको भटकाने के लिए कहेंगे -“अपना मोबाइल फेंक दे ये भी चीनी है”।तो सबसे पहले ऐसे लोगो से और ऐसे वक्तव्यों से बचे जो आपको हतोत्साहित करने के लिए है।चीनी बहिष्कार का मतलब ये नही है कि जो सामान आपने पैसे लगाकर खरीदा है उसे भी फेंक दें।चीनी बहिष्कार का अर्थ ये है कि आज के बाद आप जो भी खरीदे अगर संभव है तो चीनी सामान ना खरीदे।अगर आपको उस सामान का कोई विकल्प नही मिलता और वो नितांत आवश्यक है तो भी खरीद ले और सरकार को,इस देश के व्यापारियों को,कारोबारियों को इस सामान का देश मे उत्पादन का संदेश भेजें।इस अभियान के मूल मंत्र है विचार और व्यवहार और साथ मे सजगता उन वक्तव्यों से जो इस अभियान को क्रियान्वित नही होने देना चाहते।

इस समय चीन से 5 लाख करोड़ का सामान आयात किया जाता है करीब एक लाख करोड़ निर्यात यानि भारत का चीन से fiscal deficit है 4 लाख करोड़।अगर हम अगले कुछ वर्षों में इसे 2 लाख करोड़ काम करने का प्रयास करें तो सोचिए इस देश की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा पंहुचेगा और रोजगार भी बढ़ेगा।आज जब व्यापारी सिर्फ आयात करके बेच देता है तो रोज़गार मिक्ता है सिर्फ विक्रय संबंधी कर्मचारियों को लेकिन जब सामान का उत्पादन यहाँ होगा तो रोज़गार की श्रृंखला बढ़ेगी और उत्पादन कर्मियों को भी काम मिलेगा।मैं समझता हूँ कि सरकार को उन आयातकों को ही प्रोत्साहित करना होगा उत्पादन करने के लिए जिससे किसी का मौजूदा रोज़गार प्रभावित ना हो।ईस दिशा में सरकार ने पहला कदम उठा लिया है और व्यापारी संगठन ने एकजुट होकर चीनी सामान के आयात को कम करने का फैसला लिया है।अगर हम भी स्वदेशी सामान को प्राथमिकता देना प्रारंभ कर देंगे तो जल्द ही देश आत्मनिर्भर हो सकेगा।

जय हिंद 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳

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