शिकवे रहें

शिकवे रहें शिकायत भी हो
कम कोई रस्मे मोहब्बत न हो

तुम भी कहो हम भी कहे
क्यूँ दिल को ये इजाज़त न हो

ऐसा कब होता है प्यार में
फुर्सत में नज़र ए इनायत न हो

जो चाहे मन करते रहे वो
मगर हमसे कोई शरारत न हो

अर्ज़ी ये मेरी कर ले क़ुबूल
अपनो से कभी अदावत न हो

जय खंडवी

चलते है चलो किसी मयखाने

चलते है चलो किसी मयखाने
यारों दिल की सुनने सुनाने

मुलाकातों की हैं राहें जितनी
ना मिलने के है उतने बहाने

बोझिल आँखों में है नींद नही
कैसे देखे हम सपने सुहाने

चाहें भी तो छोड़ के जाएं कहाँ
मालूम उन्हें है अपने ठिकाने

घिसते नही चलते है ए खंडवी
होते जो दोस्त जितने पुराने

जय खंडवी

तेरे मेरे बीच

शब्दो का क्या मोल है तेरे मेरे बीच
जब रिश्ते अनमोल है तेरे मेरे बीच

तुम भी चुपचाप हो और मैं गुमसुम
होता फिर क्यों शोर है तेरे मेरे बीच

अनकहे एहसासों से तान के रखना
कच्ची मोह की डोर है तेरे मेरे बीच

कुछ धुँधली भीगी कोहरे में लिपटी
ये अंधियारे सी भोर है तेरे मेरे बीच

कुछ और क्या करे ख्वाहिशें खंडवी
जो चंदा और चकोर है तेरे मेरे बीच

जय खंडवी

वफ़ाओं का यकीन

मन चाहे मौसमों को बुलाये भी तो कैसे
अपनी वफाओ का यकीं दिलाये भी तो कैसे

मना भी लेते गर तुम जो रूठ जाते मुझसे
खुद रूठ बैठे खुद से फिर मनाए भी तो कैसे

हँसते रहेंगे हँसने का वादा किया है हमने
पर छलकते आँसुओ को छिपाए भी तो कैसे

कागज़ी फूल पत्तों से सजाया है आशियाँ
तितलियां इस घर आँगन में आये भी तो कैसे

इश्क़ में हर शौक को रख दिया ताक पर
तुझको ना पसंद हो जो फरमाये भी तो कैसे

जो कभी दिखता नही हाथों की लकीरों में
अपने आसमाँ में खंडवी सजाये भी तो कैसे

जय खंडवी

चीनी बहिष्कार और आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता और चीनी सामान का बहिष्कार दो ऐसे विषय है जिसे हम निश्चित रूप से दीर्धकालीन योजना द्वारा भारत मे क्रियान्वित कर सकते है।अगर मात्र दो महीने में इस देश के व्यापारियों ने PPE kit और N95 mask की निर्भरता को चुनौती मानकर खत्म कर दिया और देश मे रोजाना लाखों kits और masks का निर्माण शुरू हो गया तो क्या योजनाबद्ध तरीके से बाकी सामान की निर्भरता खत्म नही की जा सकती।हाँ ये चुनौती भरा है आसान नही है लेकिन ये रास्ता इस देश को एक नई दिशा दे सकता है।

इसके क्रियान्वन के लिए सबसे पहले ज़रूरत है वैचारिक और व्यवहारिक सोच में बदलाव की।क्योंकि चीनी सामान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस कदर हमारे जीवन मे घुसा हुआ है कि अचानक इससे छुटकारा संभव नही है।इसलिए सर्वप्रथम नागरिकों में एक विचारधारा के बीज बोना कि हाँ वे स्वेच्छा से चीनी सामान को अपने जीवन से हटाएंगे और इसे अपने व्यवहार में ढालने का प्रयास करेंगे ये बहुत आवश्यक है।इसमें एक बड़ी चुनौती उन लोगो के प्रभाव से बचना है जो इसके विरोध में सिर्फ इसलिए है कि उन्हें विरोध करना है।आपको याद होगा इन लोगो ने स्वच्छ भारत पर भी तंज़ कैसे थे, हँसी उड़ाई थी और विरोध किया था।

आज ये इसी तरह के तंज़ मसखरी मखौल आत्मनिर्भरता और चीनी बहिष्कार पर भी करते पाए जाते है।ये आपकी विचारधारा को कमज़ोर करने की कोशिश करेंगे।मसलन अगर आपने चीनी बहिष्कार की चर्चा की तो ये Tik Tok uninstall करने की बात नही बताएंगे ये आपको भटकाने के लिए कहेंगे -“अपना मोबाइल फेंक दे ये भी चीनी है”।तो सबसे पहले ऐसे लोगो से और ऐसे वक्तव्यों से बचे जो आपको हतोत्साहित करने के लिए है।चीनी बहिष्कार का मतलब ये नही है कि जो सामान आपने पैसे लगाकर खरीदा है उसे भी फेंक दें।चीनी बहिष्कार का अर्थ ये है कि आज के बाद आप जो भी खरीदे अगर संभव है तो चीनी सामान ना खरीदे।अगर आपको उस सामान का कोई विकल्प नही मिलता और वो नितांत आवश्यक है तो भी खरीद ले और सरकार को,इस देश के व्यापारियों को,कारोबारियों को इस सामान का देश मे उत्पादन का संदेश भेजें।इस अभियान के मूल मंत्र है विचार और व्यवहार और साथ मे सजगता उन वक्तव्यों से जो इस अभियान को क्रियान्वित नही होने देना चाहते।

इस समय चीन से 5 लाख करोड़ का सामान आयात किया जाता है करीब एक लाख करोड़ निर्यात यानि भारत का चीन से fiscal deficit है 4 लाख करोड़।अगर हम अगले कुछ वर्षों में इसे 2 लाख करोड़ काम करने का प्रयास करें तो सोचिए इस देश की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा पंहुचेगा और रोजगार भी बढ़ेगा।आज जब व्यापारी सिर्फ आयात करके बेच देता है तो रोज़गार मिक्ता है सिर्फ विक्रय संबंधी कर्मचारियों को लेकिन जब सामान का उत्पादन यहाँ होगा तो रोज़गार की श्रृंखला बढ़ेगी और उत्पादन कर्मियों को भी काम मिलेगा।मैं समझता हूँ कि सरकार को उन आयातकों को ही प्रोत्साहित करना होगा उत्पादन करने के लिए जिससे किसी का मौजूदा रोज़गार प्रभावित ना हो।ईस दिशा में सरकार ने पहला कदम उठा लिया है और व्यापारी संगठन ने एकजुट होकर चीनी सामान के आयात को कम करने का फैसला लिया है।अगर हम भी स्वदेशी सामान को प्राथमिकता देना प्रारंभ कर देंगे तो जल्द ही देश आत्मनिर्भर हो सकेगा।

जय हिंद 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳

एक तिनका कोरोना

एक तिनका ही काफ़ी है ये कारवाँ मिटाने के लिये
हो गयी बस्तियां बंद कोई जगह नही जाने के लिए

संभल जा बंद कर सारा तमाशा ए दौलत शोहरत
अरे और कितने कोरोना चाहिए समझाने के लिए

बेवजह बेकार हो गए बंदोबस्त ये ऐशो आराम के
बहुत कुछ खोया होगा तूने ये सब जुटाने के लिए

खूब खेलता रहा इन हवाओं नदियों इन बहारो से
अब छिप जा बिल में अपनी जान बचाने के लिए

क्या पूरब क्या पश्चिम दूर तक अंधेरा है ए खंडवी
टिमटिमाता बस इक दीया हो राह बताने के लिए

जय खंडवी

अबकी होली में

दिल में ना कोई मलाल हो अबकी होली में
मुहब्बतों के रंग गुलाल हो अबकी होली में

मैं हरा हरा लहराउ तू केसर में खिल जाए
मज़हबी ना रंग गुलाल हो अबकी होली में

अनकही भी पढ़ ले तू आँखों मे झाँक कर
मुँह से ना कोई सवाल हो अबकी होली में

यूँ ही साथ साथ रहे सदा सफर दर सफर
तू पातपात डाल डाल हो अबकी होली में

तेरे हुस्न के चर्चो से रंगी रहती हैं महफिलें
मेरा इश्क़ भी बेमिसाल हो अबकी होली में

भर दे दवात ए खंडवी सतरंगी मिजाज़ से
जब भी लिखे जलाल हो अबकी होली में

जय खंडवी

शिकायत नही रखता

अब कोई शिकवे शिकायत नही रखता
किसी से बैर और अदावत नही रखता

इश्क़ करता हूँ खुदा की हर इक शय से
घर मे कोई किताबे इबादत नही रखता

करता हूँ सब जो इन हाथों से बनता है
वैसे किसी काम में महारत नही रखता

मुझ को मेरे ही घर से निकाल दे कोई
इतनी ज़्यादा भी शराफत नही रखता

पैग़ामें इश्को इज़हार कायम रखता हूँ
पर उम्मीदो नज़रे इनायत नही रखता

बूढ़े माँ बाप के कदमों में सुकूँ है मेरा
काशी काबा की ज़ियारत नही रखता

जय खंडवी

वफाओं का यकीन

मन चाहे मौसमों को बुलाये भी तो कैसे
अपनी वफाओ का यकीं दिलाये भी तो कैसे

मना लेते अगर यार रूठा हो जो मुझसे
खुद रूठ बैठे खुद से गर मनाए भी तो कैसे

हँसते रहेंगे हँसने का वादा किया है जो
छलकते इन आँसुओ को छिपाए भी तो कैसे

कागज़ी फूल पत्तों से सजा है आशियाँ
तितलियां इस घर आँगन में आये भी तो कैसे

इश्क़ में हर शौक को रख देंगे ताक पर
तुझको ना हो पसंद जो फरमाये भी तो कैसे

वो तो सितारा है किसी और शख्स का
अपने आसमाँ प खंडवी सजाये भी तो कैसे

जय खंडवी

नागरिकता कानून

पड़ौस में भाई पीड़ित हो उसे मत सँभालो दोस्तों
मगर घर बुलाकर दुश्मनों को गले लगा लो दोस्तों

सरहद प आतंकी से लड़ रहा वीर जवान तो क्या
बेशर्म हो तो भीतर भी पत्थर फिंकवा लो दोस्तो

किसी के बाप का नही इसलिए चैन ओ अमन है
लगाओ आग इसे भी पाकिस्तान बना लो दोस्तों

मत बख्शो तुम किसी को सियासी राह में खंडवी
ज्ञान मंदिरों को भी दहशत गर्दी सिखा लो दोस्तों

जय खंडवी